कोरोना के खौफ से बाजार में सन्नाटा है। गाजीपुर सब्जी मंडी में न तो किसान अपना सामान लेकर बेचने आ पहुंच पा रहे हैं, और न ही खुदरा बाजार में सब्जी बेचने वाले छोटे दुकानदार या रेहड़ी वाले ही पहुंच रहे हैं। लिहाजा बाजार में सन्नाटा पसरा है। इससे एक तरफ तो रोज का करोड़ों का व्यापार प्रभावित हो रहा है, वहीं बाजार में काम करने वाले हजारों दिहाड़ी श्रमिकों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है।
स्थानीय बाजारों से हरी सब्जियां मंडी में आ रही हैं, लेकिन ग्राहक न होने के कारण उनके खराब होने का खतरा बना हुआ है। बाजार के सेक्रेटरी श्याम लाल शर्मा ने बताया कि जरूरी सेवा होने के कारण मंडी को बंद करने जैसा कोई फैसला अभी नहीं लिया गया है।
स्थानीय बाजारों से हरी सब्जियां मंडी में आ रही हैं, लेकिन ग्राहक न होने के कारण उनके खराब होने का खतरा बना हुआ है। बाजार के सेक्रेटरी श्याम लाल शर्मा ने बताया कि जरूरी सेवा होने के कारण मंडी को बंद करने जैसा कोई फैसला अभी नहीं लिया गया है।
आवक में भारी कमी
गाजीपुर सब्जी मंडी के एक कर्मचारी राज बहादुर के मुताबिक यहां औसतन रोज 1700 से 1800 टन माल की आवक होती है। नवरात्र जैसे त्यौहार में खपत बढ़ने से यह और भी अधिक हो जाती है। लेकिन कोरोना के खतरे के कारण महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और बंगाल जैसे राज्यों से सामान की आवक नहीं हो पा रही है। सोमवार को यहां लगभग 1100 टन माल ही आ सका। स्थानीय बाजारों से किसान भी अपना माल लेकर मंडी नहीं पहुंच रहे हैं।
पालक के दो रुपये किलो में भी खरीदार नहीं
मंडी में मुख्य रूप से आलू और प्याज की ही सबसे ज्यादा खपत हो रही है। हरी सब्जियों की बिक्री में भारी गिरावट है। आलू के थोक व्यापारी अरुण चौधरी (मामू) ने बताया कि आलू की खपत नवरात्र के सीजन में बढ़ जाती थी, लेकिन इस बार खपत सामान्य दिनों से भी आधी रह गई है।